एक अध्यापक विद्यार्थी के व्यवहार निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अध्यापक जिस प्रकार पढ़ाता है तथा कक्षा में विद्यार्थियों की व्यवस्था जिस प्रकार करता है उसका उनके अधिगम पर प्रभाव पड़ता है। एक अध्यापक अधिगम को कई प्रकार से प्रभावित करता है। बच्चों में मान्यताओं का विकास करना जिससे एक बालक अच्छा नागरिक बन सके। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निश्चित पाठ्यक्रम द्वारा वह शिक्षण कार्य करता है। अभिप्रेरणा के द्वारा बच्चों में अनुशासन की भावना विकसित की जाती है। अध्यापक बच्चे के चरित्र तथा उसके व्यक्तित्व के विकास के प्रति हमेशा सचेत रहता है। वह उसकी पाठ्य विषयों में रुचि पैदा करता है तथा विभिन्न प्र्रकार का कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। अधिगम को सफल बनाने के लिए यह आवश्यक है कि अध्यापक बालकों में चिंतन का विकास करें। चिंतन के विकास को इस प्रकार प्रोत्साहित किया जाए कि वह आदत बन जाए और वह आसानी से अधिगम कर सके। अध्यापक विद्यार्थियों को अपने विषय ज्ञान से प्रभावित करता है इसीलिए उसे शिक्षण के विषय का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। बालकों के अधिगम को उन्नत बनाने के लिए अध्यापक को उत्तम विधियों का सहारा लेना होगा और इससे समस्या का समाधान शीघ्र होता है। विषय का सामन्यीकरण होना आवश्यक हैÊ इससे छात्र का चिंतन बढ़ जाता है। “शिक्षा हमारे समाज की आत्मा है जो कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती है”।