अपने जीवन में हम सबका ध्यान दूसरों की खुशियों या अवसरों की बजाय कमियों और समस्याओं पर ज्यादा होता है। हमें दूसरों की कमियों और समस्याओं पर ध्यान न देने की बजाय उनके सकारात्मक विचारों पर देना होगा। जब तक हम खुद को नहीं सुधारेंगे तब तक न तो हम जीवन में आगे बढ़ पाएँगे और हमारे मन में निराशा के भाव पैदा होंगे। लोग हमारा उस वक़्त साथ देंगे जब हम एक सत्यनिष्ठ व्यक्ति के तौर पर पहचान हासिल करेंगे।
आइए दूसरों को नाराज़ किए बिना उन्हें अपने साथ जोड़ने के १० नियम जानें-
१ आप सुनने वाले की सच्ची प्रशंसा के साथ शुरआत करे।
२ गलतियों की तरफ लोगो का ध्यान अप्रत्यक्ष रूप से दिलाए।
३ दूसरों की आलोचना करने से पहले अपनी कमियों और गलतियों की चर्चा करें।
४ सीधे आदेश देने की बजाय प्रश्न पूछकर कार्य करें।
५ प्रत्येक सुधार और बदलाव की प्रशंसा करें।
६ व्यक्ति को अपनी गरिमा बचाने का अवसर प्रदान करें।
७ दूसरे व्यक्ति को पूर्ण सम्मान के साथ जीने का अवसर दे।
८ कमियों को आसान बनाकर प्रस्तुत करें और प्रोत्साहित करें।
९ दूसरे व्यक्ति को आप द्वारा सुझाये गए कार्य करने में आनंद अनुभव कराए।
१० विनम्रता से पेश आए। याद रखे कि सम्मान दोगे तो सम्म्मान मिलेगा।
इन सभी सकारात्मक बातो पर ध्यान केंद्रित करने के बाद यदि हम अपना काम ईमानदारी से करेंगे तो हमारा जीवन खुशियों से भर उठेगा।
धन्यवाद
निशा सेठी,
हिन्दी टीचर